- भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा में क्या किया जाता है?
भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा में लाखों भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण, बलभद्र एवं सुभद्रा के रथ को खींचते हुए गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं। - पुरी धार्मिक नगरी होने के साथ साथ और किसके लिए प्रसिद्ध है?
पुरी धार्मिक नगरी होने के साथ साथ पूर्व क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। - कोणार्क में किसका मंदिर है?
कोणार्क में सूर्य देवता का मंदिर है। - भुवनेश्वर के वन्यजीव संरक्षण केन्द्र का नाम क्या है?
भुवनेश्वर के वन्यजीव संरक्षण केन्द्र का नाम नंदनकानन है। - उदयगिरी और खंडगिरी किसके लिए प्रसिद्ध है?
उदयगिरी और खंडगिरी जैन गुफ़ाओं के लिए विश्वप्रसिद्ध है। - एशिया में खारे पानी का सबसे बडी झील कौन-सी है?
एशिया में खारे पानी का सबसे बडी झील चिल्का झील है - मृच्छकटिकम् नाटक की क्या विशेषता है?
मृच्छकटिकम् नाटक में समाज की अच्छाइयों और बुराइयों का सही चित्रण है जो आज भी विश्वसनीय लगता है। अस नाटक की यही विशेषता है। - वसंतसेना ने अपने गहने चारुदत्त के पास क्यों रखवा दिए थे?
वसंतसेना ने चोर लुटेरों से बचाने के लिए अपने गहने चारुदत्त के पास रखवा दिए थे। - चारुदत्त को मृत्युदंड क्यों दिया गया?
वसंतसेना को मार डालने का इलज़ाम लगाकर चारुदत्त को मृत्युदंड दिया गया था। - प्रशांत कहाँ कहाँ से ऋण ले सकता है?
प्रशांत अपने कार्यालय से, सहकारी ऋण समिति से सामान्य भविष्य निधि से, बैंक से या फिर कुछ निजी वित्तीय कंपनियों से ऋण ले सकता है। - चेन्नै के आस-पास कौन-कौन से देखने लायक स्थान हैं?
महावलिपुरं और कांचीपुरम चेन्नै के आस-पास के देखने लायक स्थान हैं। - दक्षिण भारत किसके लिए प्रसिद्ध है?
दक्षिण भारत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। - चुनाव आयोग के क्या कार्य है?
देश की लोकसभा और विधान सभा के चुनाव करवाने का कार्य चुनाव आयोग करता है । - चुनावों के दौरान राजनीतिक दल क्या क्या करते हैं?
चुनावों के दौरान राजनीतिक दल चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हैं, पोस्टर, नारे, अपीलें आदि छपवाते हैं । - मनोहर कैसी नौकरी चाहता है?
मनोहर सरकारी नौकरी चाहता है - चाचाजी ने सरकारी नौकरी पाने के बारे में क्या कहा?
चाचाजी ने सरकारी नौकरी पाने के बारे में कहा कि नियुक्ति सरकारी नौकरी पाना आसान नहीं। नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया के आधार पर ही होती है। - अभ्यर्थियों का नौकरी के लिए चयन कैसे होता है?
लिखित परीक्षा, साक्षात्कार आदि के आधार पर योग्यता क्रम में अभ्यर्थियों का नौकरी के लिए चयन होता है - डॉक्टर मरीज को क्या सलाह देते हैं?
डॉक्टर मरीज को केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना के डॉक्टर को दिखाने की सलाह देते हैं । - भूमंडलीकरण का क्या आशय है?
भूमंडलीकरण का क्या आशय है देशांतर सीमाओं को पार कर विश्व भर के देशों के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि का आदान प्रदान । - भूमंडलीकरण का प्रमुख लाभ क्या क्या हैं?
भूमंडलीकरण का प्रमुख लाभ है विश्व भर के देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कच्चे और तैयार माल आदि का आदान-प्रदान। - व्यापार में देश की सीमा से बाहर जाना क्यों ज़रूरी है?
देश की आर्थिक प्रगति के लिए तथा अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने के लिए जहाँ कच्चा माल सस्ता है वहाँ से खरीदने और तैयार माल की बिक्री जहाँ अच्छी हो वहाँ बेचना होगा। इसके लिए देश की सीमा से बाहर जाना ज़रूरी है । - भूमंडलीकरण का भारत पर क्या प्रभाव पड सकता है?
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान से भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ कच्चा माल सस्ता है नए नए उद्योग स्थापित हो सकते हैं। इसके साथ रोजगार के अवसर भी बढेंगे । - श्रीनगर में हस्तशिल्प के क्या क्या काम होते हैं?
श्रीनगर में लकडी तथा बर्तनों पर नक्काशी, कपडों पर कश्मीरी कढ़ाई और कालीन की बुनाई का काम होता है । - सर्दियों में गर्मी पाने के लिए कश्मीरी लोग क्या करते हैं?
सर्दियों में गर्मी पाने के लिए कश्मीरी लोग फ़िरन नाम के ऊनी लबादे पहनते हैं तथा उसके नीचे काँगड़ी रखते हैं । - कश्मीर की सुन्दरता देखकर कवि फ़िरदौस ने क्या कहा था?
कश्मीर की सुन्दरता देखकर कवि फ़िरदौस ने कहा था कि "अगर इस धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है ।" - शिकारा किसे कहते हैं?
छोटे आकार की लंबी नावों को कश्मीर में शिकारा कहते हैं। - श्रीनगर के बागों के नाम लिखिए?
चश्मेशाही, निशात तथा शीलीमार श्रीनगर के प्रसिद्ध बाग हैं। - शहरों में नौकरी पेशा लोगों का गुज़ारा कठिनाई से क्यों होता है?
शहरों में बिजली, पानी, मकान का किराया, फ़ोन, अख़बार, खाना आदि के दाम रोज़ बढ रहे हैं । इसलिए शहरों में नौकरी पेशा लोगों का गुज़ारा कठिनाई से होता है - शहरों में लोग तनावग्रस्त क्यों रहते हैं?
शहरों में जिंदगी भाग-दौड भरी है। घर की समस्याएँ, दफ़्तर का काम, बसों की भीड़, प्रदूषित हवा और पानी आदि से लोग तनावग्रस्त रहते हैं । - अमर ने अपना नाम अमर करने के लिए क्या क्या किया?
अपना नाम अमर करने के लिए अमर ने रेत पर, वृक्ष के तने की छाल पर, प्राचीन भवन के दीवार पर और फिर चट्टान की शिला पर अपना नाम लिख लिया। - संत की बात से अमर के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
संत की बात से अमर को मालूम हो गया कि लोगों की सेवा और भलाई से ही नाम अमर हो सकता है। उसने अपना पूरा जीवन जन सेवा में लगा दिया। - अंत में अमर का नाम कैसे अमर हुआ?
अमर ने अपना पूरा जीवन जन सेवा में लगा दिया । उसने अपने घर को आश्रम में बदल दिया जो अमर आश्रम के नाम से प्रसिद्ध हो गया । - नासिक से वापस मुंबई जाने की बात शिवनाथ बाबू के मन में क्यों आई?
शिवनाथ बाबू को लगा कि उन की पत्नी, बेटी और बेटे को उनका साथ रहना पसंद नहीं है। अनचाहा व्यक्ति बन कर रहना मन को अच्छा नहीं लगता। इसलिए शिवनाथ बाबू नासिक से वापस मुंबई जाने के बारे में सोचने लगे। - अंत में शिवनाथ बाबू का सपना सच में कैसे बदला?
शिवनाथ बाबू ने दिल खोलकर अपने परिवार से बात की तोपत्नी और बच्चों को अपनी भूल समझ में आई। उन्होंने शिवनाथ बाबू से क्षमा माँगी। इसप्रकार शिवनाथ बाबू का सपना सच हो गया।
- बच्चों को शिवनाथ बाबू की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगती थी?
शिवनाथ बाबू हमेशा पुत्र को उपदेश दिया करते थे तथा पुत्री को टोकते रहते थे। बच्चों को यही बात अच्छी नहीं लगती थी। - हमारे देश में यूनिसेफ़ कब से कार्य कर रही है?
यूनिसेफ़ हमारे देश में 1949 से कार्य कर रही है। - यूनिसेफ़ किन किन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों की भलाई का कार्य करती है?
यूनिसेफ़ बच्चों के लिए आवश्यक दवाइयाँ, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य, संतुलित आहार आदि देश की सरकार स्वैच्छिक संस्थाओं और व्यक्तियों के माध्यम से उपलब्ध करवाती है । - बच्चों को जन्म से कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं?
हर बच्चे को अपना नाम, राष्ट्रीय पहचान, उचित देखभाल, अच्छा स्वास्थ्य और शिक्षा पाने का अधिकार जन्मसिद्ध है। - गर्भवती महिलाओं के लिए यूनिसेफ़ क्या कार्य करती है?
यूनिसेफ़ गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए संतुलित भोजन का वितरण, टीकाकरण, आवश्यक सलाह आदि उपलब्ध करवाती है । - यूनिसेफ़ बच्चों को किन-किन रोगों से बचाने के लिए दवाइयाँ उपलब्ध करवाती है?
यूनिसेफ़ बच्चों को मलेरिया, डायरिया, दृष्टिहीनता, पोलियो, घेंघा रोग, काली खाँसी, गलघोंटू आदि रोगों से बचाने के लिए विटामिन, अयोडीन तथा दवाइयाँ उपलब्ध करवाती है - स्वामी विवेकानंद का जन्म कब और कहाँ हुआ?
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी1863 में कोलकत्ता में हुआ। - स्वामी विवेकानंद की किस विषय में अधिक रुचि थी?
स्वामी विवेकानंद को भिन्न भिन्न विषयों की पुस्तकें पढने में अधिक रुचि थी। - स्वामी विवेकानंद किससे प्रभावित हुए?
स्वामी विवेकानंद स्वामी श्री रामकृष्ण परमहंस से प्रभावित हुए। - स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण का अमेरिका वासियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
स्वामी ने अमेरिका वासियों को बहनों और भाइयों कहकर संबोधित किया तो स्वामीजी के भाषण सुनने के लिए लोग लालायित हो गए। - स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में सबसे बडी उपासना क्या है?
स्वामीजी की दृष्टि में सबसे बडी उपासना है ईमानदारी से काम करना। - टेलीफ़ोन व ई-मेल के द्वारा क्या भेजे जाने लगे हैं?
त्योहारों के शउभकामना संदेश टेलीफ़ोन व ई-मेल के द्वारा भेजे जाने लगे हैं। - खुर्रमजरी का क्या अर्थ है?
खुर्रमजरी मणिपुरी भाषा में नमस्कार का शब्द है। - सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कहाँ के कलाकारों से हुई थीं?
मणिपूर और गुजरात के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे। - किस समाचार पत्र में फ़ोटो सहित कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी?
'जन जागरण' में फ़ोटो सहित कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। - दीवान सुजान सिंह दीवानी पद क्यों छोडना चाहते थे?
बुढापे के कारण दीवान सुजान सिंह दीवानी पद छोडना चाहते थे। - विज्ञापन में दीवान के पद के लिए उम्मीदवारों में क्या क्या योग्यताएँ होनी ज़रूरी थीं?
विज्ञापन के अनुसार उम्मीदवारों का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। - दीवान पद के लिए किसको चुना गया और क्यों?
पंडित जानकीनाथ को दीवान पद के लिए चुना गया क्योंकि उनके हृदय में साहस, आत्मबल और उदारता थी। ग़रीब किसान की गाडी को दलदल से निकालकर उन्होंने इसका सबूत दिया था। - दीवान पद के लिए विद्या की अपेक्षा कर्तव्य पर क्यों बल दिया गया?
दीवान पद के लिए विद्या की अपेक्षा कर्तव्य पर बल दिया गया क्योंकि जिसके हृदय में साहस, आत्मबल और उदारता है वह गरीबों को कभी नहीं सताएगा। उसका संकल्प दृढ होगा। अच्छे दीवान के लिए यही गुण ज़्यादा ज़रूरी हैं। - अवर सचिव (प्रशिक्षण) किस लिए बैठक बुलाना चाहते हैं?
अवर सचिव नया पाठ्यक्रम बनाने से पूर्व इस संबन्ध में बैठक बुलाना चाहते हैं। - बैठक से पूर्व क्या करना होगा?
बैठक से पूर्व एक समिति का गठन करना होगा। - सम्मेलन कक्ष की व्यवस्था कौन करेंगे?
सम्मेलन कक्ष की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी करेंगे। - बैठक किसकी अध्यक्षता में हो रही है?
बैठक सचिव महोदय की अध्यक्षता में हो रही है। - छुट्टी के दिन कर्मचारियों को किस आधार पर और कैसे बुलाया जा सकता है?
छुट्टी के दिन कर्मचारियों को मानदेय के आधार पर बुलाया जा सकता है। - किस परिस्थिति में समयोपरि भत्ता मंज़ूर किया जा सकता है?
समयोपरि काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रतिपूरक छुट्टी देने से उनकी छुट्टी के दिन बकाया काम फिर बढ़ सकता है। इस विशेष परिस्थिति में समयोपरि भत्ता मंज़ूर किया जा सकता है। - मनोहर के चाचाजी किस पद पर कार्यरत थे?
मनोहर के चाचाजी वित्तीय सलाहकार के पद पर कार्यरत थे।
- स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस कब और कैसे मनाया जाता है?
स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन युवकदिवस के रूप में 12 जनवरी को मनाया जाता है। - उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्रावधान कब हुआ था?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्रावधान 1986 में हुआ था। - चार चिनार कहाँ पाए जाते है?
चार चिनार श्रीनगर के डल झील के बीचोंबीच पाए जाते हैं। - इरोंबा क्या है?
इरोंबा एक प्रकार की चटनी है।
सोलांग वैली का मुख्य आकर्षण है पैराग्लाइडिंग और स्कीइंग।
कुछ पाठों के सारांश
प्राकृतिक आपदाएँ
बाढ,
सूखा, भूकंप, ज्वालामुखी तथा तूफ़ान प्राकृतिक आपदाएँ कहलाती हैं। इनके
कारण जान व माल की हानी होती है और जीवन ठप्प हो चाता है। अधिक बारिश होने
से बाढ आ जाती है, बिजली, पानी, संचार, यातायात व्यवस्था अस्तव्यस्त हो
जाती है। समुद्री तूफ़ान भी एक प्राकृतिक संकट हैं। बाढ़ और समुद्री तूफ़ान
के कारण फ़सलें और बस्तियाँ डूब जाती हैं। धरती की आँचलिक हलचल भूकंप के
रूप में प्रकट हो जाती है। इमारतों और जीवन की हानी होती है। धरती की भीतरी
गर्मी लावा के रूप में फ़ूटती है तो ज्वालामुखी कहलाती है। यह विशेष
इलाकों में आतंक फ़ैलाती है। सभी प्राकृतिक आपदाएँ महामारियाँ छोड जाती है,
इससे भी काफ़ी जीवनाश होता है। प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्य को बचाने का
उपाय मनुष्य के ही हाथ में है। जंगलों की कटाई रोकना, सघन वृक्षारोपन, लकडी
के तथा भूकंपरोधी मकान बनाना आदि। सरकार, स्वयं सेवी संस्थाएँ आदि आपदा
प्रबंधन के लिए सदा तत्पर रहती हैं। प्रकृति को मनुष्य का मित्र बनाए रखना
है। प्रत्येक संकट मनुष्य के लिए एक चुनौती बनकर आती है और उनपर विजय पाकर
मनुष्य अपनी पहचान दिखाता है।
सपनों का महल
शिवनाथ
बाबू मुंबई के डाक विभाग में काम करते थे। वे मुंबई के भीड-भडक्के से दूर
नासिक में घर बनवा रहे थे। वे सेवा-निवृत्ति के बाद शांति से जीवन बिताना
चाहते थे। घर के लिए उन्होंने भविष्य निधि से अग्रिम लिया और पेट-काटकर बचत
करते थे। आखिर वे सेवा-निवृत्त होकर नासिक पहुँचे और घर की व्यवस्था
उन्होंने ले ली
वे
खुश थे, कि अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभा रहे हैं। इस अति उत्साह में
वे बेटे को अक्सर उपदेश देते और बेटी को टोकते । बच्चों को यह अच्छा नहीं
लगता। पत्नी भी संकोच से भरकर दूर ही रहती। शिवनाथ बाबू को लगता कि मेरा
यहाँ रहना इन लोगों को अच्छा महीं लगता।
जब
अपने ही घर में उन्होंने खुद को अनचाहा पाया तो उन्होंने फिर मुंबई लौटने
की सोची। फिर सोचा कि एक बार सबसे बार करके देखूँ। उन्होंने सबको बुलाया और
बात की। वे बोले कि वे सबका भला चाहते हैं , लेकिन उनका वहाँ रहना किसीको
पसंद नहीं तो वे वापस चले जाते हैं।
पत्नी और बच्चों को अपनी भूल समझ में आई तो सबने माफी माँगी। तब से उनका सपना सच हो गया।
अमर आश्रम
अमर एक धनी आदमी का बेटा था। बडा होने पर उसने कुछ ऐसा करना चाहा जिससे सब उसे जानने लगे।
इसके
लिए उसने खेतों के पास रेत में अपना नाम लिखा। हवा के चलने पर नाम मिट
गया। तब उसने पेड के तने पर अपना नाम लिखा। आँधी में वह पेड गिर गया। तब
अमर नें अपना नाम एक पुराने भवन की दीवार पर लिखा। वर्षा में भवन ढह गया।
दुःखी अमर ने फिर अपना नाम नदी के पासवाली गुफ़ा में लिखा। नदी में बाढ़ आई तो उसका नाम पानी में मिल गया।
अंत
में उसने एक संत से सलाह माँगी। उन्होंने उसे अपना नाम लोगों के दिल में
लिखने की सलाह दी। तब अमर को मालूम हो गया कि लोगों की सेवा से ही नाम अमर
हो सकता है। तब उसने जन सेवा की और उसी में अपना जीवन लगा दिया। उसका नाम
अमर हो गया और उसका घर अमर-आश्रम बन गया।
स्वामी विवेकानंद
स्वामी
विवेकानंद का जन्म 1863 जनवरी 12 को कोलकत्ता में हुआ। बचपन में उनका नाम
नरेन्द्र था। पिता श्री विश्वनाथ दत्त प्रसिद्ध वकील थे।कोलकत्ता
विश्वविद्यालय से इंटर तथा बी.ए. पास की। अध्ययन के साथ साथ दर्शन एवं
संगीत में भी उनकी बडी रुची थी।
नरेन
राजाराम मोहन राय के ब्रह्मसमाज के सदस्य बन गए। 1882 में उनकी मुलाकात
श्री रामकृष्ण परमहंस से हुई और प्रभावित होकर वे परमहंस के शिष्य बन गए।
1893
में शिकागो में जब उन्होंने पहली बार अमरीकावासीयों को,भाइयों और बहनों
कहके संबोधित किया तो भारत के दर्शन एवं भाईचारे का संदेश दुनियाभर में
गूँजने लगा।
स्वामी
विवेकानंद श्रम पर आधृत कर्मयोग को ही ईश्वर साक्षात्कार का मार्ग मानते
थे। भारत की धर्म निरपेक्षता, समाजवाद आदि का आधार उन्हीं के दर्शन है।
गरीबों के उत्थान एवं नारी शिक्षा का महत्व स्वामीजी जानते थे। शिक्षा को
ही उन्होंने व्यक्ति और समाज के विकास का आधार माना।
स्वामीजी का जन्मदिवस युवक दिन के रूप में मनाकर हम उनको श्रद्धाञ्जली अर्पित करते हैं।
उड़ीसा की सैर
लेखक
छुट्टी यात्रा रियायत लेकर परिवार के साथ पूर्वी भारत का उड़ीसा देखने गए।
रेल से भुवनेश्वर, फिर वहाँ से बस से मंदिरों की नगरी जगन्नाथ पुरी गए।
चार धामों में से एक पुरी में भगवान श्रीकृष्ण, बलभद्र तथा सुभद्रा का
मंदिर है। हर वर्ष जगन्नाथ की रथ यात्रा में लाखों भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण,
बलभद्र तथा सुभद्रा के रथ को खींचकर गुडियाघर तक ले जाते हैं।सागरी तट
पुरी प्रसिद्ध पर्यटन स्थान भी है, जहाँ लोग सूर्योदय देखने तथा सागर में
स्नान करने आते हैं।
उडीसा
के राज्य पर्यटन विकास निगम के कंडक्टड टूर से लेखक ने फिर चन्द्रभागा नदी
का सागर संगम, कोणार्क का सूर्य मंदिर, कलिंग का रणक्षेत्र आदि देखे। फिर
वापस भुवनेश्वर में आकर 108 मंदिरों का समुच्चय लिंगराज मंदिर, नंदनकानन का
वन्यजीव संरक्षण केन्द्र, उदय गिरी और खंड गिरी की जैन गुफ़ाएँ आदि देखने
के बाद एशिया का सबसे बडा खारा पानी झील चिल्का झील में नौकायन किया और
सहर्ष वापस आए।
मेरा शहर
मेरा
शहर कोयंबत्तूर है। यह दक्षिण भारत के तमिऴनाड़ राज्य में है। कोयंबत्तूर
एक छोटा शहर है। यहाँ कई बड़े बड़े व्यवसाय तथा कारखाने हैं। कपास और कपडों
के लिए कोयंबत्तूर प्रसिद्ध है। इसे दक्षिण भारत का मेंचेस्टर और 'कोटन सिटी' भी कहते हैं। यहाँ दिन प्रति दिन नए नए तकनीकी कॉलेज खुल रहे हैँ।
यहाँ कई भाषाओं के लोग रहते हैं। तमिऴ के अलावा यहाँ मलयाळम, कन्नडा, तेलुगु आदि भाषाएँ बोलनेवाले भी काफी हैं।
यहां का मौसम बहुत अच्छा है। ऊटी, कोडैकानल आदि पर्यटन केन्द्र यहाँ से पास हैं।
यहाँ का पेरूर शिवमंदिर, ईच्चनारी विनायक मंदिर आदि मशहूर हैं।
लेकिन
शहर होने के कारण यहाँ चीज़ों के दाम कुछ ज्यादा है। प्रदूषण भी ज्यादा
है। लेकिन इसके बावजूद भी मेरे लिए अपना शहर बहुत प्यारा है।
शहरी जीवन
लेखक
ने गाँव से आठ किलोमीटर चलकर रेलगाडी पकडी और दिल्ली शहर में अपने चाचाजी
के घर पहुँचे। चाचा के घर में वे चाचा को बरामदे में अकेले उदास बैठे देखते
हैं जबकि घरवाले सब अपने कामों में या टीवी देखने में व्यस्त हैं।
वे
कुछ दिन चाचा के घर रहकर दिल्ली शहर घूमते हैं। लेकिन लेखक को शहरी जीवन
गाँव की तुलना में रास नहीं आती। यद्यपि रोज़गार की तलाश सभी को शहरों की
ओर खींच लाती है, लेखक पाते हैं कि शहरों में बिजली, पानी, मकान, फोन आदि
सभी सुविधाओं के दाम रोज़ रोज़ बढ़ रहे हैं । लोग शुद्ध दूध या शुद्ध वायु
के लिए तरस जाते हैं। वे हर तरह की गाडियाँ देखते हैं पर सभी गाडियों में
भीड ही भीड है। हर कोई शहर की भागदौड़ में तनावग्रस्त होता है और बीमार
पड़ता है।
कुछ दिन शहर में रहने और वहाँ की जीवन शैली देखने के बाद लेखक अपने शाँत, स्वस्त गाँव में लौट आते हैं। उनका मन शहर में नहीं लगता – उनको प्रकृति की गोद में रहना ही पसंद है।
मेरा कार्यालय
मेरा
कार्यालय ................ ............... ..................... है। यह
तमिऴनाड के कोयंबत्तूर में है। हमारा कार्यालय एक (शाखा कार्यालय) है।
हमारा मुख्यालय ............. ..... में हैं।
हमारे
कार्यालय का प्रधान .......................................... है। आजकल
इस पद पर श्री/श्रीमति ................................. हैं। हमारे
कार्यालय में ........ निम्न श्रेणी लिपिक, ......उच्च श्रेणी लिपिक,
......... सहायक, .......क्लास 4 कर्मचारी तथा .......अधिकारी काम करते
हैं। मैं एक ................................. हूँ।
हमारा अपना भवन होता है, जिसे ........................................ कहते हैं। यहाँ हिन्दी और अंग्रेज़ी में काम किया जाता है।
मुझे अपने कार्यालय पर गर्व है।